शनिवार, 10 अप्रैल 2010

अखिल भारतीय भोजपुरी सम्मलेन गोपालगंज में 'पं.राहुल सांकृत्यायन'जी के वक्तव्य


अखिल भोजपुरी साहित्य सम्मेलन, गोपालगंज में राहुल सांकृत्यायन का भाषण


भाई बहिन लोगिन

सरसुती माई के दरबार में जे अपने सब एतना मान हमरा के देहलीं ह ओकरा खातिर हम अपना के धन- धन समझतानी अबहीन हमनी के इ मतारी भाखा के केहू ना पूछत आछत बा लेकिन कतेक दिनवा हो, कतेक दिनवा. हमनी के देस के दिन लउटी आउर उहो दिनवा आई जब हमनी के भाखा सिरताज बनी. एक करोड से बेसी बीर बंका जेकर पूत, उ भखा केतना दिन ले भिखमंगीन बनल रही. हिनुई हमनी के बडकी माई ह आ ओकरा से नेह तूरे के काम नइखे. आज हिनुतान में लोग के राज भइल. हमनी के राजा रानी के राज ना चाहीं. इ लोग के राज तबे निमन चली जब लोग हुसियार होई. आ उ बूझे कि दुनिया जहान में का हो रहल बा. अपना देस में केहू बेपढल ना रहे. एकर कवन रहता बा.

ज् हिनुए में लिखे पढे के होई त हमनी के लइका पचासो बरिस में पढुआ ना बनी. आ एने हमनी के दसे बारह बरिस मेंसमूचा मुलुक के पढुआ बनावे के बा. कइे से होई ई कुलि. हमरा समझ में एकर एके गो रहता बा. सोझे एक पेडिया रहता. जे आपनआपन बोली में सबके पढावल गुनावल जाये. जउना मुलुक में सधारण लोग के राज न होला उहां कुलि ख्जगह इहे कइल जाला. कि लोग के बुरबक बना के रखल जाला. चार दरजा ले लइका लइकिन के अपना बोली में कबात आ बिचार कुल पढावल जाये. बुढ भा सेयान केहू आपन बोल में पढल लिखल चाहे तो ओकरो खातिर मोसकिल नइखे. फेनु सब लोग ककहरा पढ के अपना अपना बोली में पेाथी आ खबर बांचे लागी. समूचा लोग के पढुआ होखे खातिर इ बहुत जरूरी बा. अदमी के पास उ इलिम बा उ कल मसीन बा कि सातो नदीन आउरर धरती के पेट के पानी झपीछ के बहरा क देओ. एतने से बरहो महिना हमनी के पानी मिल सकेला. ओकरा खातिर देव के आगे हाथ जोरलाके काम नइखे. हिंदुस्तान के गरीबी दूर होखे के रहता इहे बा कि बेसी से बेसी मील करखाना खुले. अ बरहो मास खेत पटवे के पानी आ खादर जुटल रहे.

ळहमनी क बोली छपरा बलिया चैपारण अउर आरा जिले में तो बडले बा बनारस के बोली में बहिुत कम फरक बा. चउपारण सारन साहाबाद पलामू आ थोर बहुत रांचीयो में हमनिये के बोली बोलल जाला. ओने बलिया, गाजीपुर आजमगढ गोरखपुर देवरिया समुचा आरा जवनपुर, मिरजापुर के कुछ कुछ हिस्सा इहे भाखा बोलेला. हमनी के बोली के एक गो फरका प्रांत बने के चाही एकर कवनो मतलब नइखे कि एके बोली बयवहार वाला लोग दू जगह बंअल रहे. अंगरेज लोगन के बात अउरी रहे. जइसे जइसे राज दखत होत गइल अपना काम में ेजेवर सुविस्ता दिखाइल ओइसने उ लोग बटवरा कइलक. आजकल के जमाना में छिटपुट रहला से काम ना चली. हमनी के पछिम के प्रांत में पूरब वाला जिला जइसे बलियां देवरिया वगैरह के पूछार सबसे पाछे होला पहीलहुं से एही होत आ रहल बा आउर आगहूं इहे होई. अपना फरका प्रांत भइला पर अपना घर के सोरहो आना मालिक मुख्तार हमनिये के होइब. फेनु कुल काम अपने मन मोताबिक होई. हमनी के आपन पंचइती राज प्रजातंत्र कायम करेके चाहीं. अलग राज के नाम अपने सब मल्ल रखीं चाहे कासी रखीं चाहे दुनो जिला मिला के मल्ल कासी रखीं. चाहे भोजपुर राखीं, अपने सब के मन. बाकि इस बात ध्यान रखीं. कि गाछ गिनला के काम नइखे, मतलब हवे फल से. चाहे कइसहूं होवे, हमनी के एकगो पंचइती राज होवे के चाहीं. इ बनावल अपना सबे के हाथ में हवे. बोटवा त अपनहीं सब के देबे के परी. फिर कइसे नाही आपन पंचइती राज बनी.

क् हमनी के बोली में पोथी ना लिखाइल. किछु छोटकी छोटकी पोथली छपइबो कइल त एहे दु चार गो मेला घुमनी. ओइसे जब तब भला होवे रघुवीर बाबू के, मनोरंजन बाबू के जे दु चार गो गीत लिख के समूचा धरती में फइला दिहलें. बिदेसिया, फिरंेिगया अजहूं ले हमनी के मन से भोर ना परेला. हमनी के बोली में केतना बढिया कवितई हो सकेला. एके अपने सब सिवान के सभा में बिसराम के बिरहा में देखले हो इब जा. बिसराम के कविताई अइसन ओइसन कविताई नइखे. हम सभत्तर के कविताई पढले सुनले बानीं. बाकि बिसराम अइसन कविताई बहुत कमे देखे मं आवेला. परमेसरी बाबू के धनी धनी कहेके चाहीं कि उ बिसराम के 22 गो बिरहा लिख लेहलन. इ मालूम रहित कि एतना हाली बिसराम चल दिहें त हमीं उनके साथ एक महिना घुमन होती.

क् हमनी के बोली में केतना जोर हवे? केतना तेज बा इ अपने सब भिखारी ठाकुर के नाटक में देखले होइब. नाटक देखे खातिर दस दस पनरह हजार के भीड एही से मालूम हो जाला कि नाटक में पबलिक के रस आवेला. जवना चीज में रस आवे, उहे कविताई ह. केहू के जे लमहर नाक होखे आउर उ खाली दोसे सुंघत फिरे तो ओकरा खातिर का कहल जाई. हम ए से कहत बानी कि भिचाारी ठाकुर के नाटक में दोस नइखे. अगर दोस बा तो ओकर कारण भिखारी ठाकुर नइखबन, ओकर कारण हवें पढुवा लोेग. उहे लोग जे अपना बोली से नेह देखाइत भिखारी ठाकुर के नाटक देखित आ ओमे कउनो बात सुझाइत त दोस मिट जाइत. भिखारी ठाकुर हमनी के एगो अनगढ हिरा हवें. उनकर में कुल गुण बा. खाली एने ओने तनी तुन्नी छांटे के काम बा.

हम त कहब कि हमनी के बोली में पतिरिका चाहे अखबार निकले के चाहीं जवना में लोग के दूसरो बात समझावल जाये. अउरी नइकी पुरनकी कवितो छापल जाये. हमनी के भाखा के बारे में डाकटर उदय नारायण तिवारी ढेर काम कइलें. एगो बडका पोथी अंगरेजी में ओही के बारे में लिखलें. जे पुरान कागज अउरी पोथी मिले त ओकरो के बटोर के छपावे के चाहीं. उ अभागे होई जे आपन जनम धरती अउरी जनम के बोली से पियार ना रखी. पियार के मन में रखला के काम नइखे. ओके परगट करेके चाहीं. हमनी के भाई बहीन चारो खूंट में कतहूं जे मिलेला त अपना बोली में बतियावे मंे तनिको संकोच ना करेला. हम देखिलें कि दोसरो दोसरा जगह के लेाग अपना बोली बानी छोडि के अरबी फारसी बुके लागेला. आ अपन जनम धरती के छुपावेला. अब हमनी के तनी पग अउर बढावे के काम बा. आ अइसन करेके बा जिनिगिये में आपन प्रजातंत्र मल्ल कासी पंचायती राज कायम हो जाए.
(दिसंबर १९४७ में गोपालगंज में'महापंडित राहुल सांकृत्यायन जी द्वारा दिहल वक्तव्य.bidesia.co.in से साभार)